बनी तो है बस अधिकारिक स्वीकृत नहीं है? वैसे जब देश चलाने वाले ही अंग्रेज हो तो तो क्या होगा ........ यह भाषाई युद्ध नहीं बल्की अमीर और गरीब के बीच का युद्ध है, गरीब वोट बैंक अधिक है नहीं तो कब की मान्यता दे देती अमीरों की सरकार........./
पत्रकार, मुद्रित और टेलिविजन दोनों माध्यमों में, 40 सालों से। दि पायनियर, करेंट, दि इलस्ट्रेटड वीकली, दि वीक, प्रोब, माया, जनसत्ता में प्रिंट पत्रकारिता के बाद आजतक, दूरदर्शन न्यूज, ज़ी न्यूज़, जनमत चैनलों में काम। स्वतंत्र रूप से कुछ वृत्तचित्र निर्माण भी। पिछले कुछ सालों से एचआईवी-एड्स और मीडिया प्रशिक्षण में भी सक्रिय। सम्यक् न्यास के माध्यम से विकास, शिक्षा, सार्वजनिक स्वास्थ्य, एचआईवी-एड्स आदि में विमर्श और सहकर्म। भारतीय भाषाओं के भविष्य को लेकर विमर्श और काम को विस्तार देने में संलग्न। हाल तक CNEB समाचार चैनल में प्रधान संपादक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी। प्रधान संपादक, दैनिक आज समाज, 2010 से मार्च,2012। 16वीं लोक सभा अध्यक्ष श्रीमती सुमित्रा महाजन द्वारा 2015 में स्थापित 'अध्यक्षीय शोध कदम' (Speaker's Research Initiative SRI) का मानद सलाहकार, 2015-2019 के बीच।
बनी तो है बस अधिकारिक स्वीकृत नहीं है? वैसे जब देश चलाने वाले ही अंग्रेज हो तो तो क्या होगा ........ यह भाषाई युद्ध नहीं बल्की अमीर और गरीब के बीच का युद्ध है, गरीब वोट बैंक अधिक है नहीं तो कब की मान्यता दे देती अमीरों की सरकार........./
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