रविवार, 3 जून 2007

यह एक द्विभाषी ब्लॉग है, एक सम्यक भारत के निर्माण के लिए विमर्श को समर्पित।
सबसे पहले सम्यक की परिभाषा - सम्यक यानी सत्य, शुद्ध, और सम्पूर्ण। यह परिभाषा हमारे मित्र विशाल दपोलिया ने बताई थी। उन्हें धन्यवाद। शब्दकोश की परिभाषा भी इससे बहुत अलग नहीं है। सिर्फ़ संतुलित, सुसंगत, समुचित आदि शब्द और जोड़ दें तो अर्थ पूर्ण हो जाए।

सम्यक शब्द का सबसे ज्यादा प्रयोग शायद बौद्ध और जैन परंपराओं और शास्त्रों में मिलता है जहाँ जीवन, कर्म, चिन्तन, व्यवहार, वाणी, वस्तु, स्थिति आदि के लिए संभव आदर्श और सर्वोत्तम अवस्था के लिए इसका प्रयोग किया गया है। इसी अर्थ में इसका भरपूर प्रयोग संस्कृत और संस्कृतनिष्ठ हिन्दी में भी होता रहा है। आज भी हो रहा है।

हमने अपनी कंपनी और अपने न्यास (foundation) का नाम भी सम्यक् रखा है। लेकिन बहुत सारे लोग, ऐसे लोग जो हिन्दी ही जानते हैं, पूछते हैं सम्यक् का मतलब क्या है। हर बार एक खरोंच लगती है भीतर। अपने भाषा दुख का एक कारण यह भी है।

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